भोजपुर जनपद में उच्च शिक्षा की बढती हुई आवश्यकता के आलोक में जगजीवन, काँलेज, आरा की स्थापना 8 अक्टूबर, 1959 को महामानव माननीय बाबू जगजीवन राम के नाम पर हुई । 5 अप्रैल, 1908 को चन्दवा (आरा) के एक अनुसूचित जाति के परिवार में जन्म लेकर स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम ने भारत में जो कीर्तिमान स्थापित किया, उसमे प्रभावित होकर बिहार सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री गंगानन्द सिंह ने इस महाविद्यालय की स्थापना की उदघोषणा की । काँलेज के प्रथम सचिव स्वर्गीय महन्थ श्री महादेवानन्द गिरि एवं प्रथम प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में श्री रामनरेश सिंह के अथक प्रयास से काँलेज नियमित रुप से आगे बढता गया । भोजपुर जनपद के शिक्षाविदों के अथक परिश्रम तथा पदमभूषण डां० दुखन राम के असीम स्नेह एवं कृपा के चलते सन 1960 में विश्वविद्यालय से इस महाविद्यालय को संबन्धन प्राप्त हुआ । 11 फरवरी, 1965 को काँलेज-भवन का शिलान्यास स्वर्गीय मुख्यमंत्री माननीय कृष्णवल्लभ सहाय के कर - कमलों द्वारा चन्दवा आरा में संपन्न हुआ । महाविद्यालय का यह परम सौभाग्य है कि प्रारम्भ से ही बाबू जगजीवन राम का असीम स्नेह, संरक्षण एवं वरदह्स्त प्राप्त होता रहा । उन्होने काँलेज के भवन - निर्माण एवं विकास हेतु हर तरह का सहयोग प्रदान किया । काँलेज के निजी भवन के अभाव की पूर्ति के लिए उन्होने अपनी जन्म - भूमि चन्दवा में 5.43 एकड भूमि दान स्वरुप दी । उनकी सुपुत्री श्रीमति मीरा कुमार, माननीय अध्यक्ष, (लोक सभा) भी काँलेज के सतत विकास में पूर्ण सहयोग एवं स्नेह प्रदान कर रही है । संप्रति काँलेज वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई है, जिसका विधिवत हस्तातंरण 8 जुलाई, 1977 को हुआ । महाविद्यालय, आरा रेलवे स्टेशन और रेलवे ओवरब्रिज (पशिचमी गुमटी) के उत्तर पशिचम में पुलिस लाईन के आगे चंदवा में अवस्थित है । आरा रेलवे स्टेशन से महाविद्यालय की दूरी 3 कि० मी० है । महाविद्यालय में कला एवं विज्ञान संकायों में +2 इंटरमीडिएट एवं स्नातक प्रतिष्ठा पाठयक्रम के अतिरिक्त रिमेडियल कोचिंग की नि:शुल्क शिक्षण की सुबिधा भी उपलब्ध है । |